Friday, November 14, 2008

मेरा शौक

शौक
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मनुष्य को हर दिन कुछ ना कुछ काम करना पड़ता है| काम करते वक़्त वह नीरसता का शिकार होने लगता है| यहाँ यह भीरोचक बात है कि हरेक मनुष्य की अपनी - अपनी शौकिया आदत होती हैं| वह अपने अवकाश के क्षणों में दुसरे कार्य मेंदिलचस्पी लेने लगता हैं| इसी दिलचस्पी को हमलोग शौक का नाम देते हैं| शौक एक प्रकार का प्रिय कार्य है| शौक मनबहलावका कार्य करता है| अपने दैनिक कार्य करते करते मनुष्य जब थक जाता है तब उसकी अपनी शौक विश्राम देती हैं| इससे वहताजा और स्फूर्तिवान बना रहता है| उसकी यह आदतें उसे आलसी और नीरस बनने से बचाती है| ठीक उसी तरह मेरी भी कुछआदतें है यानी की शौक है| जब भी मैं थोड़ा दुखी और परेशां होता हूँ तब अपने शौक के अनुसार कार्य करता हूँ| मेरा पसंदीदाशौक क्रिकेट खेलना और गाने सुनना हैं| दुनिया में हरेक तरह के लोग रहते हैं | बहुत सारे लोग अपने अपने शौक से धन भीअर्जित करते हैं| जैसे की दुर्लभ टिकट और चित्रकारी के लिए ऊँची कीमत दी जाती हैं| शौक का शैक्षणिक महत्व भी हैं| प्राचीनटिकट और सिक्के से हम प्राचीन सभ्यता की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं| इनसे भिन्न भिन्न देशों की सभ्यता की भी जानकारीहोती है| कभी कभी शौक झक का भी रूप धारण कर लेता है| बहुधा कोई कोई आदमी अपने शौक में आवश्यकता से अधिकव्यस्त रहता है | वह अपने मुख्या कार्य को भूल जाता है| वह अपने सारे समय और रुपये को इसमे खर्च करता है| वह अपनेस्वास्थ्य को बरबाद कर देता है|

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