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बराक ओबामा एक ऐसी शख्सियत जिसने अमेरिका के इतिहास में एक नया अध्याय लिखा। जातीय संघर्ष के इतिहास के गवाहरहे अमेरिका के वह पहले अश्वेत राष्ट्रपति है जो कभी बहुत कम आमदनी में एक सामुदायिक कार्यकर्ता के रूप में काम कियाकरते थे।
उनकी जीत इस मायने में महत्वपूर्ण है कि 45 साल पहले मानवाधिकार आंदोलन के प्रणेता मार्टिन लूथर किंग ने समानता काजो सपना देखा था वह आज सच हो गया। आमतौर पर भारत समर्थक माने जाने वाले 47 वर्षीय ओबामा अपने नाम और जातिके कारण जानते थे कि व्हाइट हाउस तक पहुंचने का उनका सफर कितना मुश्किल होगा। उन्होंने एक बार कहा भी था कि यहएक युगांतकारी परिवर्तन होगा। केन्याई पिता और श्वेत अमेरिकी माता की संतान ओबामा ने यह कर दिखाया। अमेरिकी जनताको उनमें वह सब नजर आया जिसकी उसे इस कठिन वक्त में दरकार है।
हारवर्ड में पढ़े ओबामा ने 21 माह के कठिन प्रचार अभियान के बाद दुनिया का सबसे ताकतवर ओहदा हासिल किया। पार्टी काउम्मीदवार बनने के लिए उन्होंने पहले अपनी ही पार्टी की हिलेरी क्लिंटन और फिर वियतनाम युद्ध के सेना नायक जान मैक्केनको पीछे छोड़ते हुए अमेरिका में एक बडे़ बदलाव के संकेत के साथ व्हाइट हाउस की दौड़ में बाजी मार ली। ओबामा जनवरीमें शपथ लेकर अमेरिकी इतिहास के पहले अश्वेत राष्ट्रपति होने का गौरव हासिल करेंगे। 2009
ओबामा की जीत ने अमेरिकी इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ दिया है। देश सदियों जातीय वैमनस्यता का कोपभाजन बनारहा। आज से 200 साल पहले जिस सामाजिक बुराई का अंत हुआ उसकी सुखद अनुभूति का भी यह जीत प्रतीक है|
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