देवनागरी की विशेषताएँ
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१) आदर्श लिपि का एक गुण यह माना जाता है कि एक वर्ण से एक ही ध्वनि संकेतित होती हो| देवनागरी में यह पूर्णतयाविद्यमान है;
उर्दू या अंग्रेजी में ऐसा नहीं है|
२) दुसरा गुण यह बताया जाता है की एक ध्वनी के लिए एक ही वर्ण हो| यह भी केवल देवनागरी में मिलता है|
३) देवनागरी में प्रत्येक अक्षर उच्चारित होता है| अंग्रेजी में कई शब्दों में अक्षर मूक है|
४) देवनागरी व्यंजन संयोग - क्र, प्र , क्ता, क्ष , त्र, आदि- अंकित करने कि सुचारू पद्धति है| इस गुण के कारण शब्दों के लेखन में
थोडी जगह घेरती है|
५) देवनागरी कि वर्णमाला का वर्णक्रम वैज्ञानिक है| स्वर पहले और बाद में व्यंजन |
६) देवनागरी वर्णों के नाम उच्चारण के अनुरूप हैं|
७) देवनागरी जिन भाषओं केलिए व्यवहृत होती है उनकी सभी ध्वनियों को अंकित करने में समर्थ है | अब तो इसका विस्तार
करके भारत भर कि भाषाओँ कि ध्वनियों के उपयुक्त बनाया जा रहा है|
८) इस लिपि के लेखन और मुद्रण के अक्षर एकरूप है|
९) कलाविद बताते हैं कि सीधी रेखा कि अपेक्षा वक्र रेखा अधिक सुंदर होती है| 'वक्र' से ही बांका शब्द बना है| देवनागरी का
प्रत्येक अक्षर वक्र है इसलिए बांका है , सुंदर है|
१०) यह लिपि स्वदेशी है| उर्दू रोमन लिपि विदेशी है|
Saturday, November 15, 2008
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