Friday, November 14, 2008

कंप्यूटर का प्रभाव

कंप्यूटर का हिन्दी भाषा और नागरी लिपि पर प्रभाव
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वर्तमान युग कंप्यूटर का युग है| यह मशीन तो अब हमारी जीवनचर्या का एक अविभाज्य और अनिवार्य अंग बनती जा रही है| स्कूलों के विद्यार्थी इससे अंकगणित , बीजगणित, और त्रिकोणमिति की सारी समस्याए हल कर लेते हैं | डाक्टर अपने मरीजोंका, वकील अपने मुवक्किलों और वादों का सारा विवरण भरते जाते हैं और आवश्यकता पड़ने पर आदेश द्वारा मशीन के परदेपर देख लेतेहैं| इंजीनियर , कलाकार , विज्ञानी , ज्योतिषी , सब अपने अपने काम का गठन , वितरण और फिर रूपायण करलेते हैं| सरकारी और निजी कार्यालयों , विद्यालयों, शोध-संस्थानों , बैंकों ,बीमा कंपनियों और निगमों ने कंप्यूटर को ही साराकाम-काज समेटकर अपने नए पुराने और होने वाले कार्यों के संचालन का माध्यम बना लिया है| शिक्षा के क्षेत्र में भी कंप्यूटर काप्रवेश हुआ है| अमरीका में शिक्षक या प्रोफेसर का सारा काम कंप्यूटर करता है|

इसनें कोई संदेह नहीं कि इस अदभुत मशीन का अधिक से अधिक लाभ अंग्रेजी भाषा को हुआ हैं| इसका मुख्या कारण यही हैकि कंप्यूटर का जन्म और विकास ही अंग्रेजी भाषी देशों में होकर अंग्रेजी माध्यम से अन्य देशों में व्यापक विस्तार हुआ| अब भीइसकी तकनीक शब्दावली अंग्रेजी में है| भारत में जब इसका प्रवेश हुआ तो बिजली के बिल , जलकर , और गृहकर के नोटिसऔर बहुत सी सरकारी सूचनाए अंग्रेजी में आने लगी | हिन्दी कि प्रगति रुक गई | भारत सरकार के गृह मंत्रालय के राजभाषाविभाग को होश आया और उसने भारतीय वैज्ञानिकों का ध्यान इस समस्या कि ओर आकृष्ट किया| फलस्वरूप बिड़लाप्रौद्दोगिक तथा विज्ञान संस्थान पिलानी ने पहला द्विभाषीय साफ्टवेयर ' सिद्धार्थ ' नाम से निर्मित किया| इसमें अंग्रेजी और हिन्दीके अतिरिक्त तमिल का भी कुंजी -पटल था| बाद में आई .आई.टी.,कानपुर ने हिन्दी कंप्यूटर निकाला| सी .एम.हैदराबाद सेलिपि' नाम का त्रैभाषिक कंप्यूटर बाजार में आया |अब तो लगभग एक दर्जन प्रकार के किबोर्ड बन गए हैं|
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