Saturday, November 15, 2008

निर्विवाद चैम्पियन

निर्विवाद चैम्पियन
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व्लादिमीर क्रैमनिक के साथ विश्वनाथन आनंद का कांटे का मुकाबला एक अरसे से देखा जा रहा है, इसलिए इस बार जबक्रैमनिक ने उन्हें सीधे मुकाबले के लिए ललकारा तो दुनिया भर के शतरंज प्रेमियों में इसे लेकर काफी उत्सुकता देखी गई| २००७ में फीडे और पीसीए के एकीकरण के बाद आनंद मेक्सिको में हुई एकीकृत विश्व चैंपियनशिप जीतकर द्वितीय विश्वयुद्धके बाद दुनिया के पहले निर्विवाद विश्व चैम्पियन बने थे| लेकिन इस मुकाबले का फार्मेट डबल राउंड रॉबिन वाला था, जिसमें हरप्रतिभागी को बाकी सभी के खिलाफ दो बार खेले का मौका मिलता है और सबसे अधिक अंक पाने वाले खिलाड़ी को चैम्पियनघोषित किया जता है| इस व्यवस्था में नाकआउट जैसी चुनौती का मजा होने की बात को आधार बनाते हुए क्रैमनिक ने विशीको खुली चुनौती दी| मुकाबले ले लिए आनंद राजी जरुर हुए लेकिन यह कहते हुए की उन्हें डबल राउंड राबिन फार्मेट ही पसंदहै और क्रैमनिक की चुनौती उन्हें बेमानी लगाती है| शतरंज के हलकों में सीधे मुकाबले को द्वंद युद्ध की तरह लिया जाता है, लिहाजा आनंद के इस ब्यान को उनकी हिचक की तरह देखा गया| जर्मनी के पूर्व राजधानी शहर बान में हुए इस मुकाबले परयूरोपियन मीडिया का फोकस कुछ ऐसा था, जैसे यह वर्ल्ड चैंपियनशिप से भी कोई बड़ी चीज हो | लेकिन अपने बयानों जैसीतुर्शी क्रैमनिक मुकाबले के दौरान देख नही पाए | अधिकतम बारह राउंड यह मुकाबला चलना था, जिसमें नौ राउंड तक मामलाबिल्कुल एकतरफा था| : बाजियां आनंद ने जीती थीं , जबकि क्रैमनिक ने सिर्फ तीन| यहाँ पहुचकर इतना तय हो गया किआनंद पन्द्रह दिन या उससे ज्यादा चलने वाला यह मैच किसी भी सूरत में हारने वाले नहीं हैं| लेकिन दसवें राउंड में पहुंचकरमुकाबला रोमांचक हो गया | सफेद मोहरों से खेलते हुए क्रैमनिक ने बीच बाजी में एक बिल्कुल नई चाल चलकर आनंद को मातदे दी| अब दो बाजियां बची थी| क्रैमनिक किसी तरह इन दोनों को अपनों झोली में डाल लेते तो मैच ड्रा हो जाता और उनकादर्जा आने वाले महीनों के लिए साझा विश्व चैम्पियन का हो जाता| इसके बरक्स आनंद को अपना खिताब बचाए रखने के लिएदो में से सिर्फ एक बाजी बराबर करनी थीं, जबकि ११वे राउंड उनकी सफेद मोहरें पास थी| शुरुआत उन्होंने ड्रा के ही इरादे सेकी और मात्र २४ चालों में क्रैमनिक को बाजी छिड़ने के लिए मजबूर कर दिया|

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